🙏🙏🙏सादर नमन 🙏🙏🙏
#काव्योदयसाहित्यिकप्रतियोगिता
#दिनांक - 17/01/2022
हॉ मैं अब लिखने लगी हूं
तुम्हारे सवालों के उत्तर नही देती
अब मैं तुमसे उलझती नही हूं
तुम्हारी हॉ में हॉ कह देती
इस उम्र में चुप रहती हूँ
मेरी आँखों में कोई ख्वाईश नही
मैं नमी चुपचाप छुपा लेती हूँ
हॉ मैं अब लिखने लगी हूं
तुम्हारी प्रीत, तुम्हारी नाराजगी
सब मेरी लेखनी बन जाते
शब्दों को आवाज देने की जगह
चुपचाप लिख देती हूँ
तुम भी खुश, मैं भी खुश
अपनी अपनी दुनिया में खुश
हॉ मैं अब लिखने लगी हूं
बना ली मैंने अलग ये दुनिया
कागज कलम से नाता रखकर
मैं शायद तुम सी नही रही
पर तुम तो तुम हो ना
तुम्हारी अपनी दुनिया है
जो मेरी होकर भी कभी मेरी न थी
हॉ इसलिए मैं अब लिखने लगी हूं
मेघा जैन
फिरोजाबाद
उत्तर प्रदेश
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