About Me
- MEGHA
- Firozabad, U.P., India
- A curious Homemaker... Who is Eager to learn eveything :)
20 July, 2011
Dairy of a baby
15-jun:-i get attached with ovary
17-jun:-Im a tissue now.
30 -jun:-Mom said 2 dad, ur going 2 b a father
MOM AND DAD R VERY HAPPY
15-july:-My food is wht my mum eat
15-sep:-i cn feel my heart beat
14-oct:-I hv little hands, legs ,head n stomach.
13-nov:-today i ws in an ultrascan
WOW! im a girl.
1s-dec: I was DEAD!
My mom dad killed me.
why?
is...
काश!अगर बादलो मे रह्ती,तो कितना अच्छा होता/कम से कम दुनिया क दुख न देखना पड्ता/माती के घर जो है कच्चे/उन्मे भूख से बिलबिलाते बच्चे/अन्तिम सान्स गिनते बीमार/ज़िन्दगी मे गरीबी की मार....को तो न देखना पड्ता/डोली मे बिदा होती सुकन्या/फिर जलती उसी कन्या ....को तो न देख्न पड्ता/दर दर की टॊकर खाते/थोडे अन्न को मरते मारते....को तो न देख्नना पड्ता/काशः,अगर बाद्लो मे रह्ती ,तो कितना अच्छा होता/न पास आती धरती के,न देखती सब/काश!अगर बादलो मे रह्ती,तो कितना अच्छा होता/लेकिन,अगर दूर बाद्लो से देखती तो,मुझे इतने दुख न दिखते/इतना द्रर्द न होता/मेरे ये शब्द कविता न बनते/आप सब तक मेरी व्यक्ती न पहुच्ती/अच्छा हे मे बाद्लो मे नही,यही धरती पर रह्ती हू/कम से कम सुख दुख का अनुभव तो करती हू/दुनिया के सन्ग तो चलती हू/
म्म्मी तुम्हारी गोद मे/मे बच.पन से पली बडी/म्म्मी तुम्हारे आचल मे/मे बच.पन से खेली कूदी/तुम्से मेरा जीवन बना/तुम ही मेरा स.बल हो/तुम से मेरा अस्तिव हो/तुम्हारा मुझ पर आशिर्वाद हो/तुम्हारी उन्गलि क सहारा पा/मे कदमो पर खडी हुयी/मेरे आखो की नमी/तेरे हाथो ने सोखी/म्म्मी मेरा आज कल आज/सब कुछः तुम ही हो/मेरी आशा,मेरा परिचय/मेरा जीवन,सब तुम ही हो/तुम ही मेरी निर्णय्कर्ता/तुम ही मेरी कर्ता धरता/तुम से मेरा रूप सदा/कभी दर्द क अह्सास हुआ/तो तुम्ने दर्द लिया/कभी कोइ अर मान जगा /तो तुम्ने बलिदान किया/तुम ही मेरी जीवन दाता/तुम ही मेरा मन ईश हो/तुम ही मेरि भाग्य विधाता/तुम ही सम्पुर्ण मम.ता भाव हो/
वह औरत स्टॆशन पर भीख माग रही,बूडी जर्जर काया फ़टॆ कपडॆ मे लिपटी, आस पास लोगो का हजूम,सुन्दर, नये नवेले,रन्ग बिरन्गे कपडो मे दूर से देख रही थि मे उसे,मेरे पास आई,हाथ मे कुछः सिक्के लिये उधर पुल की सीडियो पर...वो पागल,बडबडा रहा,इधर उधर ताक रहा पहुची मे पुल के करीब,पागल को पास देख घबरा गयी......डर गयी वो औरत बेखौफ़ आगे निकल गयी,निशःब्द चल्ति गयी तभी पागल की बड्बडाहट पर ध्यान गया, कुछः अमीरो के बारे मे कह रहा था,गाली बक रहा था उस औरत के बारे मे भी कुछः बोला,उसे नादान कह रहा था बोला....कोइ नही देगा पैसा,मात माग,मुझ से ले,मे दूगा प्रधान्मन्त्री से दिलवा दूगा,फिर सिर पर हाथ मारा,.. बोला.....चिल्लाने लगा,कोई नही देगा पैसा कोई नही देगा पर मे दूगा,आ मुझ से ले ,भीक मत मान्ग,सब बेदर्द है उस्ने पास पडे सिक्के और खाने का सामान लिया....और भागा पहुचा बुडिया के पास और उसको पकडाकर,ताली बजाने लगा लोगो क हजूम बोला...........पागल है..........पागल है चेहरे पर शान्त भाव लिये वह पागल सीडियो पर वापिस आ गया तो मे सोचने पर विवशः हो गयी.......क्य वो सच्मुच पागल है अगर है ,तो भावना की उत्पत्ति कहन से हुयी,दर्द कहा से आया फिर लगा,पागल नही गरिबी की मार ने उसे पागल बनाया इसलिये तो उसे उस गरीब का दर्द समझः आया,दया का भाव जागा
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