काश!अगर बादलो मे रह्ती,तो कितना अच्छा होता/कम से कम दुनिया क दुख न देखना पड्ता/माती के घर जो है कच्चे/उन्मे भूख से बिलबिलाते बच्चे/अन्तिम सान्स गिनते बीमार/ज़िन्दगी मे गरीबी की मार....को तो न देखना पड्ता/डोली मे बिदा होती सुकन्या/फिर जलती उसी कन्या ....को तो न देख्न पड्ता/दर दर की टॊकर खाते/थोडे अन्न को मरते मारते....को तो न देख्नना पड्ता/काशः,अगर बाद्लो मे रह्ती ,तो कितना अच्छा होता/न पास आती धरती के,न देखती सब/काश!अगर बादलो मे रह्ती,तो कितना अच्छा होता/लेकिन,अगर दूर बाद्लो से देखती तो,मुझे इतने दुख न दिखते/इतना द्रर्द न होता/मेरे ये शब्द कविता न बनते/आप सब तक मेरी व्यक्ती न पहुच्ती/अच्छा हे मे बाद्लो मे नही,यही धरती पर रह्ती हू/कम से कम सुख दुख का अनुभव तो करती हू/दुनिया के सन्ग तो चलती हू/
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