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10 May, 2021

मन

 मन की दुविधायों से बाहर निकल रे मन

कुछ अच्छा सोच, म्रग तृष्णायों से भ्रमित न हो, रे मन

जीवन मिला ,इसे यू ही व्यर्थ न कर, हे मन

बन जा अडिग,अटल निश्चल, निस्वार्थ ,हे मन

क्यों परेशान, क्यों बैचेन-चल किसी को बता दें रे मन

अपने किसी कांधे, पर सर रख,चल ,थोडा सा रो ले,रे मन