जिन घरों में घुस जाती है धूप सुबह सबेरे -खिडकी, दरवाजे, परदे की ओट से
क्या वे रोशन हो जाते ? मन उजले हो जाते?
रात का अंधेरा चीर कर ,जगमग घर में ,कोई कोना उज्जवल है?
मन मे दबी पीड़ ,कोरो मे फसें आंसू
इन अट्टालिकाओं, मे रहते चेहरे-चेहरे नहीं नकाब है
रोशनी की आड मे, मन की कालिख छुपाते लोग
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